शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

इस प्रकार चाणक्य बोले : राधाकृष्णन पिल्लई


" एक नेता को पिता समान होना चाहिए। उनका पहला कर्तव्य यही है कि वे चुनौतीपूर्ण समय में भी घर को संभाले रखें।"
"इस प्रकार चाणक्य बोले" बेस्टसेलिंग लेखक राधाकृष्णन पिल्लई की चर्चित अंग्रेजी कृति Thus Spoke Chanakya का हिन्दी अनुवाद है। राधाकृष्णन पिल्लई ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का वृहद अध्ययन किया है और अब तक चाणक्य की शिक्षाओं पर आधारित 5 किताबें लिख चुके हैं।
अपनी भूमिका में राधाकृष्णन लिखते हैं कि "प्रकाशक के आग्रह पर जब उन्होंने इस किताब को लिखने का निर्णय लिया तो मैंने तय किया कि चाणक्य की शिक्षाओं की बजाय इस किताब में मैं वह सब कुछ लिखूँगा जो मैंने उनकी शिक्षाओं से सीखा। ये सभी चाणक्य के मूल विचार हैं जिन्हें समय समय पर विभिन्न शब्दों में पिरोया गया। सादे व सरल वाक्यों के साथ यह पुस्तक चाणक्य के अर्थशास्त्र का सार प्रस्तुत करती है।"

इस किताब में लगभग तीन सौ शीर्षक हैं जिनके तहत वर्तमान के तमाम प्रासंगिक विषयों जैसे नेतृत्व, समय प्रबंधन, परिवार, विश्वास एवं उत्पादकता आदि पर प्रेरक चर्चा हई है। चाणक्य का हवाला देते हुए लेखक कहते हैं कि "एक अच्छे नेता को अच्छा राजनीतिज्ञ होना चाहिए ताकि वह अपने राज्य या अपने संगठन का कुशल प्रबन्धन कर सके।" 200
साम दाम दंड भेद पर चर्चा करते हुए वे लिखते हैं कि चार पहलुओं वाली यह नीति किसी भी विषय में सफलता पाने में सहायक हो सकती है। शांति व सामंजस्य बनाये रखने हेतु हर संस्था में दंड का प्रावधान होना चाहिए, भले ही वह देश हो, कोई संगठन या परिवार। अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हमारे पास एक सुनिश्चित योजना होनी चाहिए अन्यथा हम स्वयं को किसी ऐसे व्यक्ति के लिए कार्य करता पाएंगे जिसने अपने जीवन का विस्तृत ब्यौरा बनाया हुआ है।

राधाकृष्णन कहते हैं कि जिस दिन कैरियर का आरम्भ हो,उसी दिन सेवानिवृत्ति की योजना बना लें। धन के लिए सजग रहें, किन्तु धन के पीछे न भागें। उचित समय पर भुगतान करें और अपने कर्मचारियों को समय पर समुचित वेतन दें। विवाह संस्था का सम्मान करें और पति पत्नी परस्पर सहमति और आदर से जीवन के सभी निर्णयों में बराबर के हक़दार बनें। प्रतिदिन अध्ययन करें और जग जीतने से पहले खुद को जीतें। 361

जैको बुक्स द्वारा प्रकाशित 196 पृष्ठों की इस किताब के जनसंस्करण का मूल्य है मात्र 199 रुपये।
रचना भोला यामिनी द्वारा किया गया हिन्दी अनुवाद और प्रकाशकीय गुणवत्ता भी सराहनीय है। बीच बीच में प्रसंगानुरूप कुछ आकर्षक रेखाचित्र भी शामिल किए गए हैं।

© गंगा शरण सिंह

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