गुरुवार, 2 मई 2019

समावर्तन अप्रैल 2019

■■ " विपरीत और अराजक स्थितियों में तो सृजन की धार और तेज होती है" : हस्तीमल 'हस्ती'

उज्जैन से प्रकाशित होने वाली पत्रिका #समावर्तन का अपना एक अलग अंदाज है। इसके प्रत्येक अंक में किसी एक रचनाकार को विशेष स्पेस दिया जाता है। इस बार अप्रैल के अंक में इस स्पेस पर विराजमान हैं जनाब हस्तीमल हस्ती साहब!!
इस खंड में उनके मुख़्तसर परिचय और आत्मकथ्य के अलावा उनकी कुछ लोकप्रिय ग़ज़लें, दोहे, हृदयेश मयंक और भावना के आलेख, गोपालदास नीरज, राहत इंदौरी, सोनरूपा विशाल और हरि मृदुल की छोटी छोटी खूबसूरत टिप्पणियाँ शामिल हैं। निर्मला डोसी द्वारा लिया गया एक सुदीर्घ यादगार साक्षात्कार इस अंक की विशेष उपलब्धि है।
चूँकि हमने हस्ती साहब पर अनाधिकृत शोध कार्य किया है☺️☺️ अतः इस साक्षात्कार के तमाम पहलुओं से भलीभाँति वाक़िफ़ थे। बावजूद इसके इसे पढ़ने का लुत्फ़ उठाया।

हस्ती साहब कहते हैं कि " प्रकृति हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति का कोई न कोई माध्यम देती है। मेरे मन ने कलम का सहारा लिया। कभी कभी एक बढ़िया शेर जो सुख दे जाता है वो किसी भी भौतिक सुख से ज्यादा मूल्यवान है।"

हस्ती साहब की ग़ज़लों ने मुझे भी जीवन के बहुत से मायने समझाए और इस विधा से मोहब्बत के रास्ते खोले। उनके कुछ अशआर जीवन मंत्र की तरह दिल में बस गए हैं।

©गंगा शरण सिंह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विरह विगलित कदंब: पुष्पा भारती

विरह विगलित कदंब पुष्पा भारती साहित्य सहवास में चारों ओऱ बड़े करीने से हरियाली उग आई थी। अपनी मेहनत की सफलता पर खुश भी थे भारती जी कि सहसा उ...